गर्भपात (miscarrige)

जब 13 से 20 सप्ताह तक भ्रूण अवस्था में बच्चेदानी में  मर जाता है और  भ्रूण स्वतंत्र रूप से जिन्दा नहीं रह पाता है तो इसका मिसकैरेज हो जाता है

या भ्रूण को बाहार निकलवाना पड़ता तो इसको मिसकैरेज कहते है|  

गर्भाशय में भ्रूण को पकड़ना और इसे सही समय पर बहार निकालना , अपान वायु के कारण होता है। अगर अपान वायु में असंतुलन होता है तो तब गर्भपात होता है।

लक्षण:

थकान

बुखार

योनि से ज्यादा खून बहना

ऐंठन के साथ पेट दर्द

कमजोरी

कारण:

गर्भपात के लिए कई कारण हैं -

भ्रूण के गुणसूत्रों की असामान्यता यह क्षतिग्रस्त शुक्राणु या अंडे के कारण होती है

कुपोषण,

मातृ आघात,

मातृ उम्र,

संक्रमण,

हार्मोनल बदलाव

जब भ्रूण का गर्भाशय की आंतरिक परत पर इम्प्लांट होने में विफल रहता है।

मोटापा और मधुमेह

आयुर्वेद में पित्त बढ़ाने वाले  खाद्य पदार्थों में वृद्धि करना , वात तेज जीवन शैली, मसालेदार, बासी भोजन, मानसिक तनाव, व्यस्त यात्रा और अनुचित शारीरिक गतिविधियों और

धूम्रपान, पीने, कैफीन का अत्यधिक सेवन से  गर्भपात हो जाता है

आहार और जीवन शैली:

उत्तर बस्ती जैसे पंचकर्म ट्रीन्टमेन्ट करवाना

गर्भावस्था के दौरान मसालेदार, बासी भोजन, मानसिक तनाव, व्यस्त यात्रा और अनुचित शारीरिक गतिविधियों को कड़ाई से बचा जाना चाहिए।

महिला को प्रदूषकों, जहर, तनाव और मानसिक आघात से बचाना जाना चाहिए।

गर्भावस्था के लिए जाने से पहले उचित तैयारी गर्भपात की संभावना को कम कर सकता है।

गर्भ धारण करने से पहले आयुर्वेदिक उत्तर बस्ती (गर्भाशय एनीमा) से मां के गर्भाशय को साफ करना चाहिए।

घरेलु उपचार: .

ध्यान दें: कृप्या औषधि चिकित्सक की देख रेख में ले


उपचार के साथ उपचार