मूत्रजनन विकार तब होते हैं जब मूत्र अंग और जननांग अंग ठीक से कार्य नहीं कर रहे हैं। ये विकार बुढ़ापे, बीमारी या चोट के परिणाम हो सकते हैं
पेशाब में कई अंग शामिल हैं जिनमें दो गुर्दे, दो मूत्र, मूत्राशय, दो स्फिंक्टर मांसपेशियों और मूत्रमार्ग शामिल हैं।
मूत्र प्रणाली को गुर्दे की प्रणाली के रूप में भी जाना जाता है गुर्दे रक्त से, मलबे और अतिरिक्त पानी को छानकर मूत्र का निर्माण करता हैं। मूत्र गुर्दे से दो पतली ट्यूबों के माध्यम से यात्रा करता है जिसे यूरेटर कहा जाता है और मूत्राशय को भरता है। जब मूत्राशय भरा होता है, तो एक व्यक्ति मूत्रमार्ग के माध्यम से waste material को बहार निकालता है । मूत्रजनन विकारों के उदाहरण- cystitis, न्यूरोजेनिक मूत्राशय, गुर्दा स्टोन , पैल्विक इन्फेक्शन डिसीसेस (पीआईडी), गर्भाशय का विस्तार, मूत्र पथ के संक्रमण (यूटीआई) इत्यादि शामिल हैं। मूत्र संबंधी समस्याएं पैदा करने के अलावा, गर्भाशय ग्रीवा, फैलोपियन ट्यूबों, और महिलाओं में योनि, वृषण, एपिडीडिमिस (नलिकाज का अंग जहां शुक्राणु वृषण छोड़ने के बाद इकट्ठा होता है), प्रोस्टेट ग्रंथि और पुरुषों में लिंग सहित प्रजनन अंग आदि कई अंग को भी प्रभावित हो सकते हैं
मूत्र जनन संबंधी विकारों का उपचार विकार की गंभीरता पर निर्भर करता है।
अगर मरीजों को निम्नलिखित लक्षणों के साथ मूत्रजनन विकार हो तो जल्द से जल्द अपने वैद्य / डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
1.अल्पशुक्राणुता
कम शुक्राणु गणना
2.गर्भपात
थकान
बुखार
योनि से भारी खून बहना
पेट में ऐठन के साथ दर्द होना
दुर्बलता
3. PCOD
मासिक धर्म संबंधी विकार
मुँहासे
चेहरे पर असामान्य बाल वृद्धि
बालो का गिरना
बजन का बढ़ना
इंसुलिन निकलना बंद होना
4.शीघ्रपतन
प्रवेश से पहले स्खलन
5.प्रीमेन्सट्रअल सिंड्रोम
पेट में दर्द और फूलना
स्तन मे कठोरता
थकान और सही से नींद न आना
पेट की ख़राबी
कब्ज या दस्त
शारीरिक दर्द / सिरदर्द
जंघा क्षेत्र में दर्द
भूख में कमी
मांसपेशियों में दर्द
तनाव
चिड़चिड़ापन
चिंता या अवसाद
6.प्रोस्टाटाइटीस (प्रोस्टेट की सूजन)
बुखार
जी मिचलाना/उल्टी
बार बार मूत्र आना
रात्रि मे पेशाब आना
श्रोणि और जननांग क्षेत्र में दर्द
7.बांझपन
पुन: उत्पन्न करने में विफलता
8.LEUCORROEA (सफेद पानी )
पेट के निचले हिस्से में दर्द
दुर्बलता
जननांग क्षेत्र में जलन और खुजली
9.मेनोपॉज़ (रजोनिवृत्ति)
सरदर्द
गर्मी /सर्दी लगना
अवसाद व चिड़चिड़ापन होना
कम सेक्स इच्छा होना
खून का जमना
मेमोरी समस्याएं
रात पसीना आना
अनिद्रा
लगातार मूत्र पथ के संक्रमण
10.मेनोरेजिआ (मासिक धर्म के दौरान ज्यादा रक्त निकलना)
अवधि के दौरान रक्तस्राव या खोलना
पेट के निचले हिस्से और त्रिक स्थान में ऐठन और दर्द
थकान
सरदर्द
शरीर में भारीपन महसूस करना
कब्ज
स्तन कठोरता
सामान्य दुर्बलता
खट्टी डकार
रक्ताल्पता
11.गुर्दे की पथरी
मतली होना/उल्टी होना
मूत्रमार्ग मे तीव्र दर्द होना
ठंड के साथ बुखार
मूत्र मार्ग से रक्तस्राव
जल्दी जल्दी मूत्र त्यागना
बर्निंग मिक्चुरीसन/पेशाव मे जलन
12.एमेनोरिया (मासिक धर्म न होना)
वजन घटना या वजन बढ़ना
माहवारी की अनुपस्थिति
स्तन आकार में परिवर्तन
स्तन से डिस्चार्ज होना
चेहरे पर असामान्य बालो का विकास और मुँहासे निकलना
योनि सूखापन
आवाज पतली या मोटी होना
13.यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (मूत्रमार्ग मे इन्फेक्शन)
बुखार
मूत्रमार्ग मे जलन और दर्द होना
बेचैनी
पेशाब को करते हुए जलन होना
मूत्रमार्ग मे सूजन होना
मूत्र में मवाद या रक्त की उपस्थिति