रक्तपरिसंचरण तत्र विकार (सर्क्युलेटरी सिस्टम डिसीज )

आयुर्वेद में दिल की बीमारियों (ह्रदय रोगकी विस्तृत चर्चा हुई है।

पांच प्रकार की हृदय रोग को दोषों के आधार पर वर्गीकृत किया गया है।आयुर्वेद चिकित्सक हृदय की भविष्य  मे आने बाली समस्याओं के जोखिम को कम करने में मदद करने के लिए दिशा निर्देश देते है।ये दिशानिर्देश आपको , आयुर्वेदिक दवाओं और हृदयरोगसे जुड़े सभी जोखिम कारकों के लिए आहार और शारीरिक गतिविधि जैसे जीवन शैली में बदलाव सहित एक उपचार योजना विकसित करने में मदद कर सकते हैं।

जोखिम कारक-

सिगरेट का धुआँ, कोरोनरी हृदय रोगियों को  मारने मे अधिक उत्तरदायित्व होता है   धूम्रपान ऑक्सीजन युक्त रक्त को खराब करता है और रक्तचापरक्त कोलेस्ट्रॉल के स्तर और शारीरिक निष्क्रियता सहित अन्य जोखिम कारकों के प्रभावों को बढ़ाता है।

2. नार्मल रक्तचाप 120/80 मिमी एचजी होत है (सिस्टोलिक दबाव 120 है और डायस्टोलिक दबाव 80 से कम है) पूर्व उच्च रक्तचाप सिस्टोलिक 120-139  या डायस्टोलिक दबाव 80-89 होता है। उच्च रक्तचाप 140 या उससे अधिक होता है  या 90 या अधिक का डायस्टोलिक दबाव होता है।

जब रक्तचाप अधिक होता हैतो आपके दिल को अधिक काम करना पड़ता है। स्वास्थ्य की आदतों में वजन कम करना,  सोडियम  (नमककम करना और नियमित शारीरिक गतिविधि का आनंद लेने से रक्तचाप कम हो सकता है। यदि आपके उच्च रक्तचाप हैतो आयुर्वेदिक दवाओं तथा अपनी लाइफ स्टाइल चेंज करने पर जैसे वजन कम करना,  सोडियम  (नमककम करना और नियमित शारीरिक गतिविधि से दिल के दौरेस्ट्रोकगुर्दा की बीमारी और दिल की बीमारियां  को रोका जा

सकता है। अपने डॉक्टर की सलाह के मुताबिक अपने रक्तचाप की निगरानी करें। अपने  रक्तचाप ट्रैकर के साथ अपने रीडिंग का ट्रैक करे 

 

3. उच्च रक्त कोलेस्ट्रॉल तब होता है जब आपके शरीर में बहुत अधिक कोलेस्ट्रॉल होता है या यदि आप उन खाद्य पदार्थों को खाते हैं जिनमें बहुत अधिक संतृप्त वसा और ट्रांस वसा होता है। कोरोनरी हृदय रोग वाले रोगियों के लिए जो अधिक जोखिम होता हैं, इसका उपचार कोलेस्ट्रॉल को कम करने पर केंद्रित होता है  अपने कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिएआपको अपनी खाने की आदतों को बदलने और वजन कम करना चाहिए और  अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक से बात करें कि क्या आपको इन जीवन शैली में परिवर्तन के साथ कोलेस्ट्रॉल की दवा लेनी चाहिए। 

 

4. आदमियों के लिए कमर का साइज 40 इंच से अधिक  और महिलाओं के लिए 35 इंच से अधिक नहीं होना चाहिये  (एशियाई मूल के लोगों के लिए निम्न होना चाहिए : पुरुषों के लिए 37-39 इंच और महिलाओं के लिए 31-35 इंच।)

५.नियमित शारीरिक गतिविधि में कई फायदे होते है जैसे कि  धूम्रपान छोड़नेवजन कम करनेतनाव कम करने से  रक्तचाप को कम करने और एचडीएल कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने में मदद मिलती हैं। पैरों और हाथों की बड़ी मांसपेशियों का प्रयोग करके एरोबिक व्यायाम करना आपके दिल को अधिक कुशलता से काम करने में मदद करता है। आपकी ताकतलचीलापन और संतुलन में सुधार करने के लिए शारीरिक क्रियाकलापआपको  उम्र भर चुस्त बनाये  रखने में मदद करते हैं।

यदि रोगी को संबंधित लक्षणों के साथ हृदय की समस्या है तो निम्नलिखित बीमारियां हो सकती हैं -

उच्च रक्तचाप

  • गर्दन के पीछे दर्द (ओसीसीपिटल सिरदर्द)
  • palpitations
  • चक्कर आना या चक्कर
  • थकान

यदि आपको निम्नलिखित लक्षण हो तो अपने चिकित्सक / वैद्य को जरूर दिखाए :

·         सीने में दर्द (एनजाइना)

·         साँस लेने में तख़लीफ़ 

·         अपने पैर या हाथों में कमजोरी या शीतलता अगर आपके शरीर के किसी हिस्सों में सुन्नपन

·         गर्दनजबड़ेगलेऊपरी पेट या पीठ में दर्द

·         बेहोशी