बरसात में रिंगवर्म (दाद) व आयुर्वेदिक समाधान
रिंगवर्म को टीनिया या डर्मेटोफायटोसिस नाम से भी जाना जाता है।
आयुर्वेद में दाद को ‘दद्रु’ कहते हैं। दद्रु एक प्रकार का दोष है, जो वात पित्त कफ से संबंधित है।
रिंगवर्म के लक्षण
त्वचा पर लाल रंग का गोल घेरेनुमा चक्कते हो जाना |
खुजली अधिक होना व जलन होना|
बालों में होने पर बालों की जड़ो में भी खुजली होना या बालों का झड़ना |
त्वचा पर छोटी छोटी फुंसिया होना |
रिंगवर्म से बचाव
मौसमानुसार जीवनशैली रखें और उसी के अनुसार आहार का सेवन करें।
अपने आस पास के वातावरण को स्वच्छ रखें।
ढीले और सूती कपड़े पहने, जिससे ज्यादा पसीना ना हो।
ज्यादा ठंडा और गर्म भोजन, नमकीन,मसालेदार, खट्टे,किण्वित या तला हुआ, देर रात रात्रि भोजन खाना|
अधिक चाय, कॉफी,शीतलपेय, मादक पेय के अत्यधिक सेवन न करें |
साबुन, डिटर्जेंट,शैंपू,परागकण,फंगस , वायरस,बहुत गर्म या ठंडा मौसम, उच्च और निम्न आर्द्रता का होने की आदि वजह से बचाव करना चाहिए |
घरेलु उपचार:
1. 20 से 30 नीम पत्तियों और हल्दी पाउडर 10 ग्राम के लगभग 2 गिलास पानी में उबाल ले फिर ठंडा करके, प्रभावित क्षेत्र को धोने के लिए इस पानी का उपयोग करें।
2. लहसुन - यह प्राकर्तिक एंटी फंगल तत्वों से भरपूर होता है। 3-4 लहसुन की कलियों को लेकर पेस्ट बना ले इसमें जैतून तैल की कुछ बूदें डालकर और शहद मिलाएं फिर इस लेप को दाद पर लगाने पर आराम मिलेगा |
आयुर्वेद औषधि से उपचार
1.सर्वदोषांतक गुटिका
यह पिप्पली ,काली मिर्च लौह भस्म, स्वर्ण गैरिक ,नीम ,हरड़ ,आंवला ,बहेडा ,हल्दी में नीम, गिलोय, जवासा, शंमभालू की भावना देकर बनाया हुआ आयुर्वेदिक योग है जो सभी प्रकार की त्वचा एलर्जी पित्ती उछलना (अरर्टिकेरिया), त्वचा पर चकत्ते और खुजली में लाभदायक हैं |
मात्रा : 1-2 टैब दिन में दो बार गुनगुने पानी के साथ
2.रक्त शोधक सिरप - यह पीपल पदम् सुगंधबाला अकंदी कुटकी, कूठ, अम्लतास हरड़, आंवला,रक्त चन्दन आदि जो रक्त को शुद्ध करता हैं | उपयोग - त्वचा रोग जैसे - मुँहासे , डर्मेटाइटिस , पित्ती, फोड़े, त्वचा पर चकत्ते पड़ना, खुजली, बैक्टीरियल और फंगल इन्फेक्शन के लिए लाभदायक है ,
रक्त शोधक सिरप - दो-दो चम्मच दिन में दो बार - गर्म पानी के साथ लें।
3.रक्तशोधक बटी - यह चोपचीनी, शोधित गंधक दारूहल्दी,अनंतमूल ,कुटकी, हरड़, आंवला और बहेडा आदि औषधियों से मिलकर बना हुआ योग है |जो रक्त को शुद्ध करता हैं |
उपयोग - त्वचा रोग जैसे - मुँहासे , डर्मेटाइटिस , पित्ती, फोड़े, त्वचा पर चकत्ते पड़ना, खुजलीबैक्टीरियल और फंगल इन्फेक्शन के लिए लाभदायक है।
मात्रा -1-2 गोली दिन में दो बार या चिकित्सक के निर्देशानुसार।
4.दादूरीन मलहम - यह गंधक ,महामरिचयदि तेल ,नीम तेल आदि से मिलकर बना मलहम है जो बरसात में होने वाली त्वचा सम्बन्धी परेशानी जैसे-दाद ,खाज खुजली ,फोड़ा फुंसी आदि में लाभकारी होता है |
प्रयोग विधि - इसका प्रयोग प्रभावित क्षेत्र पर दिन में 2 बार लगाया जाए।
5.महामरिच्यादि तेल - यह निशोथ , दंतीमूल , आक दूध ,गोबर रस ,देवदारु हल्दी ,दारुहल्दी, लालचन्दन,हरिताल ,मैनसिल,वायविडंग नागरमोथा ,खदिर, पीपल व वच आदि से बना योग जो खुजली , पित्ती उछलना ,दाद में लाभकारी होता है |
प्रयोग विधि - इसका प्रयोग प्रभावित क्षेत्र पर दिन में 2 बार लगाया जाए।
6.नीम टेबलेट – नीम टेबलेट नीम की पत्ती के औषधीय गुणों से भरा है। यह प्राकृतिक रक्तशोधक, एंटीफंगल, एंटी बैक्टीरियल है। लगभग हर प्रकार के इन्फेक्शन इसका प्रयोग किया जाता है। नीम टेबलेट में नीम पत्ती का स्टैंडर्डाइज़्ड एक्सट्रेक्ट लिया गया है जिसमे कार्यकारी द्रव्य "बिटर्स"कम से कम ५ प्रतिशत मात्रा में होते है।
सेवन मात्रा - १ से २ टेबलेट सुबह शाम रक्तशोधक सीरप के साथ या चिकित्सक के परामर्शानुसार।
7. हरिद्रा टैबलेट - यह हल्दी एक्सट्रेक्ट व हल्दी पाउडर से बना हुआ एक योग है । आधुनिक रिसर्च में हल्दी इम्युनिटी बढ़ाने वाली, एन्टी फंगल, एंटीवायरल व एन्टी बैक्टीरियल होती है।इसकी मात्रा 1 टेबलेट दिन में दो बार पानी या दूध से ले
8.गंधक रसायन - यह गंधक,दालचीनी ,तेजपात इलाइची और नागकेशर , गिलोय और त्रिफला से आयुर्वेद में वर्णित योग है जिसकी मात्रा 1 से 2 टेबलेट सुबह शाम जल से लेना चाहिए |
9. आरोग्यवर्धनी बटी - यह शुद्ध पारद ,शुद्ध गंधक ,लौह भस्म ,ताम्र भस्म त्रिफला ,कुटकी ,शिलाजीत आदि से बना आयुर्वेदिक योग है जोकि स्रोतों को शोधन करने वाली होने के साथ साथ खुजली ,फोड़ा फुंसी आदि चर्मरोग में लाभकारी हैं | इसकी मात्रा 1 -2 टेबलेट सुबह शाम शहद से या पानी से लेनी चाहिए |
नोट - उपरोक्त औषधि चिकित्सक की देखरेख में ले या हमारे टोल फ्री नंबर( 1800-102-8384) पर चिकित्सक से सम्पर्क करें|