बेडवेटिंग या एनेरोसिस

बेडवेटिंग या एनेरोसिस तब कहा जाता है जब पांच साल की उम्र के बच्चों को बिस्तर पर कम से कम दो बार सप्ताह में तीन महीने तक पेशाब करने लगते  है।

यह सबसे बच्चों की आम समस्या है और इसे शैय्यामूत्र  कहा जाता है।यह एक वात विकार माना जाता है क्योंकि मूत्र को समाप्त करने के कारण वात का कार्य होता है।

 आम तौर से 3 या 4 वर्ष की उम्र के बाद बच्चे अपने मूत्राशय पर काबू पा लेते हैंपर कुछ बच्चों में यह प्रक्रिया कमज़ोर रह जाती है और ऐसे बच्चे अनजाने में और अनिच्छा से नींद में बिस्तर पर पेशाब कर देते हैं। यह हरकत कभी कभी 15-20 वर्ष की उम्र तक चलती रहती हैजिससे इस उम्र के बच्चे शर्मिंदगी महसूस करते हैं|  यह नींद में बिस्तर गीला करने की बीमारी लड़कियों के तुलनामें लड़कों में अधिक पाई जाती है। इस रोग के कारण  सिर्फ बच्चे हंसी मज़ाक का विषय बन जाते हैंउसके अलावा नींद के पैटर्न अव्यवस्थित हो जाते हैं और नींद की कमी के कारण अनेक समस्याएँ खड़ी हो जाती हैं।

लक्षण: दिन या रात की नींद के दौरान मूत्र का त्याग करना

कारण:

यह एक वात विकार माना जाता है

आधुनिक विज्ञान में झुंझलाना के सटीक कारण अज्ञात हैंलेकिन निम्नलिखित कारकों पर प्रभाव पड़ सकता है:

एक छोटा मूत्राशय होना 

मूत्राशय की माँसपेशियो में असमर्थता 

हार्मोन असंतुलन

मूत्र पथ के संक्रमण।

स्लीप एप्निया।

मधुमेह

पुराना कब्ज।

मूत्र पथ या तंत्रिका तंत्र में संरचनात्मक समस्या।

आहार और जीवन शैली:

सोने से कुछ घंटे पहले तक (बजे के बाद) पानी का सेवन या अतिरिक्त द्रवों को पीने से बचा जाना चाहिए।

बिस्तर पर जाने से पहले मूत्राशय खाली होना चाहिए।

जो खाद्य पदार्थ किड़े की वृद्धि को बढ़ा सकते हैंउसे बचा जाना चाहिएउदाहरण - मिठाईपानी-पुरी चॉकलेटबिस्कुटकेकब्रेडआइस क्रीम आदि

बच्चे को ज्यादा आलूहरे चनेचॉकलेटचायकॉफ़ी और मसालेदार खान पान,  जिससे पेट में गैस बनता हैका सेवन  करायें

उसके सोने के दो या तीन घंटे बाद का अलार्म लगाकर रखें ताकि उसे पेशाब करने के लिए जगाया जा सके। 

कभी कभी परिवार के किसी सदस्य या प्रिय मित्र की मृत्युमाता पिता का संबंध विच्छेद वगैरहबच्चों में उच्च तनाव की वजह बनते हैं और नींद में बिस्तर गीला करने के कारण बन सकते हैं। 

बच्चे की भावनाओं को समझने के प्रयास करें और उनसे लड़ने के लिए सकारात्मक कदम उठायें। 

घरेलु उपचार: आमला  पाउडर के 1 ग्राम,1 ग्राम अश्वगन्धा  पाउडर  बराबर मात्रा  और कृमिकुथार रस 1 टैब के मिश्रण को मिलाकर मिलाएं और फिर 1/2 चम्मच इसपाउडर को दोबारा रोजाना दोबारा अपने बच्चे को 20 दिनों के लिए दें।

ध्यान दें: कृप्या औषधि चिकित्सक की देख रेख में ले


उपचार के साथ उपचार