पर्किन्सन रोग

यह एक दिमागी बीमारी है इसमें व्यक्ति को कम्पन  महसूस होते  है साथ ही मांसपेशियों में कठोरता और धीमापन होने की शिकायत होती है |आधुनिक चिकित्सों के अनुसार  यह दिमाग के हिस्से बेंसल गेंगिला में विकृति के चलते पैदा होती है ये गैन्ग्लिया जंक्शन मस्तिष्क के आधार पर स्थित हैं और शरीर के मांसपेशियों के नियंत्रण और आंदोलनों को प्रभावित करते हैं
और न्यूरोट्रांसमीटर डोपामीन में कमी की बजह से  होती हैआंकड़े बताते है कि दुनियाभर में इस बीमारी से बहुत से लोग पीडित है वैसे यह बीमारी ज्यादातर 60 साल के बाद की उम्र में ही होती है और महिलाओं के आलावा पुरुषों में अधिक मिलती है 

पार्किंसंस रोग की तुलना आयुर्वेद ग्रंथों में वर्णित कम्पवात रोग से की गई है।

पार्किंसंस रोग वात की बजह से होता है

वात शरीर के लगभग सभी चैनलों में रहता है।

लक्षण:

डिप्रेशन

थकान

मांसपेशियों में कठोरता

हाथों का कपकपाना

अंगों का दर्द

मानसिक धीमापन

चलने में दिक्कत होना

छोटे हाथ लेखन

चेहरे पर भाव उत्पन्न न होना

कारण:

पार्किंसंस रोग वात की बजह से होता है

वात शरीर के लगभग सभी चैनलों में रहता है।

आधुनिक चिकित्सों के अनुसार  यह दिमाग के हिस्से बेंसल गेंगिला में विकृति के चलते पैदा होती है और न्यूरोट्रांसमीटर डोपामीन में कमी की बजह से  होतीहै

आहार और जीवन शैली:

पर्यावरणीय विषाक्त पदार्थों से बीमारी के होने का संदेह है,अतः जितना संभव हो, उससे बचना चाहिए।

जंक फूड, पैक किए गए भोजन, बासी भोजन, रसायनों के साथ उगाने वाले खाद्य पदार्थ, प्रदूषण इत्यादि से जितना संभव हो उतना बचा जाना चाहिए।

खाद्य और गतिविधियों जो वात को बढ़ाते हैं, जितना संभव हो उतना टाला जाना चाहिए।

इसके विपरीत, बादाम, अखरोट जैसे खाद्य पदार्थ आदि तंत्रिका तंत्र और नियंत्रण वात पोषण करते हैं। आहार में उन्हें शामिल करना ज़रूरी है

Parkinson’s के रोगियों को सर्वप्रथम हरी सब्जियां, फल आदि खिलाना शुरू करें. सब्जियों को उबाल कर ही खिलाना चाहिए.

घरेलु उपचार:

आयुर्वेदिक मालिश, नस्य,कर्णपूरन, बस्ती इत्यादि वात रोगों को कम करने और तंत्रिका तंत्र के स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायता करने वाली पंचकर्म थेरेपी कराना चाहिए ।

उनका नियमित अभ्यास रोग के को कम करने में मदद करता है

रोगी की मानसिक अवस्था को समझते हुए उसको हमेशा खुश और एक्टिव रखने की कोशिश करते रहें.

रोज़ कम से कम 15 – 15 मिनट सुबह शाम अनुलोम विलोम ज़रूर करवाएं. ये इस रोग में अमृत की तरह काम करेगा.| 

ध्यान दें: कृप्या औषधि चिकित्सक की देख रेख में ले


उपचार के साथ उपचार