माइग्रेन में आमतौर से सिर के एक तरफ लगातार तेज दर्द या स्पंदन प्रकार का ( कभी तेज कभी कम ) मिनट से घंटो तक दर्द बना रहता है ।
इसमें अक्सर आँखे लाल उल्टी और प्रकाश और ध्वनि के प्रति अत्यधिक संवेदनशीलता बढ़ जाती है।
लक्षण:
मतली और उल्टी होना
सरदर्द होना
चिड़चिड़ापन आना
अवसाद या उत्साह आना
थकान होना
अत्यधिक तंद्रा आना
कब्ज या दस्त होना
पेशाब में वृद्धि होना
मांसपेशियों में जकड़न (विशेषकर गर्दन में)
कारण:
आयुर्वेद के अनुसार, असंतुलित आहार और अनुचित जीवनशैली शरीर में पित्त की वृद्धि हो जाती है।
पित्त के बढ़ने पर आहार का पाचन ढीक प्रकार से नहीं हो पाता है,जिससे पाचन संबंधी अशुद्धताओं का उत्पादन होता है जिसे आम कहते है तथा यह आम मनोवाही स्रोतस में संग्रहीत हो जाता है जिससे सिर में दर्द होने लगता है। ओज की कमी से माइग्रेन जैसी समस्याएं आती हैं ओज सर्व शरीर के ऊतकों का सार है और तंत्रिका तंत्र और शरीर को ताकत प्रदान करता है
माइग्रेन, मस्तिष्क के रसायन जैसे सैरोटोनिन की असंतुलन के कारण हो सकता है जो तंत्रिका तंत्र में दर्द को नियंत्रित करने में मदद करता है।
लेकिन शोधकर्ता अभी भी माइग्रेन में सेरोटोनिन की भूमिका का अध्ययन कर रहे हैं।
माइग्रेन होने के दौरान सेरोटोनिन का स्तर गिरता है। माइग्रेन के निम्नलिखित कारण भी हो सकते है:
• महिलाओं में हार्मोनल परिवर्तन- हार्मोनल दवाएं, जैसे मौखिक गर्भ निरोधकों और हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी, एस्ट्रोजेन में उतार चढ़ाव के कारण भी कई महिलाओं में सिरदर्द बढ़ने लगता हैं।सिरदर्द के इतिहास वाले महिला अक्सर अपनी मासिक धर्म के पहले या बाद में, जब उन्हें एस्ट्रोजेन में बड़ी कमी आती है, तब सिर दर्द की रिपोर्ट करती है
• मिर्च मसाले युक्त फूड्स,पनीर , नमकीन खाद्य पदार्थ और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और स्वीटनर पदार्थ एस्पारटेट और प्रेज़रवेटिव मोनोसोडियम ग्लूटामेट सिरदर्द को बढ़ा सकते हैं भोजन छोड़ना या उपवास करना भी सिरदर्द को बढ़ा सकता है।
• तनाव,विशेष रूप से शराब, अत्यधिक कैफीनयुक्त पेय पदार्थ और कम नींद या बहुत ज्यादा नींद लेने से सिरदर्द को बढ़ा सकते है।
• तीखी रोशनी, जोर से आवाज़ और सूरज की चमक माइग्रेन को बढ़ा सकती है।तीखी गंध जैसे इत्र , पेंट, धुआ, मौसम के परिवर्तन और अन्य कुछ लोगों में सिरदर्द को बढ़ा सकते हैं।यौन क्रियाकलापों सहित तीव्र शारीरिक परिश्रम, माइग्रेन को बढ़ाने के कारण हो सकते हैं
आहार और जीवन शैली:
मिर्च मसाले युक्त फूड्स, पनीर, नमकीन खाद्य पदार्थ और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और स्वीटनर पदार्थ एस्पारटेट और प्रेज़रवेटिव मोनोसोडियम ग्लूटामेट सिरदर्द को बढ़ा सकते हैं भोजन छोड़ना या उपवास करना भी सिरदर्द को बढ़ा सकता है इनसे बचना चाहिए ।
• तनाव,विशेष रूप से शराब, अत्यधिक कैफीनयुक्त पेय पदार्थ और कम नींद या बहुत ज्यादा नींद लेने से सिरदर्द को बढ़ा सकते है इनसे बचना चाहिए ।
• तीखी रोशनी, जोर से आवाज़ और सूरज की चमक माइग्रेन को बढ़ा सकती है।तीखी गंध जैसे इत्र , पेंट, धुआ, मौसम के परिवर्तन और अन्य कुछ लोगों में सिरदर्द को बढ़ा सकते हैं।यौन क्रियाकलापों सहित तीव्र शारीरिक परिश्रम, माइग्रेन को बढ़ाने के कारण हो सकते हैं इनसे बचना चाहिए
भृंगराज तेल और ब्राह्मी तेल के साथ सिर की मालिश भी फायदेमंद है। यह मालिश आपके तंत्रिका तंत्र को शांत प्रभाव देती है।
घरेलु उपचार:
माइग्रेन में , आयुर्वेदिक चिकित्सा और पंचकर्म चिकित्सा द्वारा पित्त दोष, वात दोष और शरीर में पाचन की प्रक्रिया की ठीक करना चाहिए।
तंत्रिका टॉनिकों द्वारा (nervine tonic) ओज को बढ़ाने, मन को आराम देने और तंत्रिका तंत्र को ताकत देनी चाहिए ।
शिरोलेप - हर्बल पेस्ट्स द्वारा , जो मुलेठी , कपूर, जाटामांसी जैसे पित्त दोष को शांत करते हैं।
शिरो धारा - शिरो धारा में क्षीरबला तेल और चन्दनादि तेल का प्रयोग करना चाहिए जिससे वात दोष शांति होती है।
गाय का दूध का इस्तेमाल तब करना चाहिए जब पित्त दोष की भागीदारी अधिक होती है। वात के मार्ग में रुकावट को दूर करने के लिए छाछ का प्रयोग किया जाता है ।
शिरोवस्ती - स्कैल्प पर चमड़े की टोपी बनाकर औषधीय तेल भरना चाहिए । इससे भी वात-पित्त शांत होता हैं।
स्नेह नस्य - बैद्यनाथ बादाम रोगन तेल नाक के नथुने में डालना चाहिए ।
ध्यान दें: औषधि चिकित्सक की देख रेख में ही प्रयोग करना चाहिए.
उपचार के साथ उपचार