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ग्रीष्म ऋतु आहार व वायरस के इन्फेक्शन से बचाव

इस समय ग्रीष्म ऋतु शुरू हो गई है साथ ही इस समय वायरस की महामारी भी फैली हुई है अतः हमें अपनी व समाज की अधिक देखभाल की जरूरत है। ग्रीष्म ऋतु में कफ का शमन व वायु का संचय होने लगता है। यदि  इन दिनों में वातप्रकोपक आहार विहार करते रहें तो यही संचित वात ग्रीष्म ऋतु के बाद आने वाली वर्षा ऋतु में अत्यन्त कुपित होकर विभिन्न बीमारियां होने लगती है। ग्रीष्म ऋतु में सूर्य का अधिक तापमान व अतिरूक्ष हवा से प्राणियों के शरीर का जलीयांश कम हो जाता है जिससे कमजोरी, बेचैनी, थकान आदि लक्षण उत्पन्न होते हैं और प्यास ज्यादा लगती है तो मटके या सुराही का पानी पियें। 

आजकल ग्रीष्म ऋतु होने  के साथ देश में वायरस इन्फेक्शन भी तेजी से फैल रहा है अतः  इन दिनों में फ्रिज, कूलर का ठंडा पानी पीने से शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है  जिसमे गले, श्वसन सम्बन्धी रोग होने की सम्भावना है और यह लक्षण वायरस से इन्फेक्शन में भी मिल रहे है|  इसलिए वायरस इन्फेक्शन से बचने के लिए आयुर्वेद में उपस्थित जड़ी बूटियां से बनाया गया आयुष क्वाथ  ( तुलसी चार भाग,दालचीनी दो भाग, कालीमिर्च एक भाग व सौंठ दो भाग ) दिन में एक या दो बार 150 मिली० जल के साथ उबालकर चाय की तरह लेना चाहिए  अब ये काढ़ा (आयुष क़्वाथ) बैद्यनाथ कंपनी भी बनाने लगी है |


गर्मी व वायरस के इन्फेक्शन से बचने के उपाए – 

 

आयुर्वेद के अनुसार रोकथाम इलाज से बेहतर होता है  

गर्मी  वायरस से बचने के लिए घर  मे ही रहना चाहिए व यदि निकलना पड़े तो मुँह व शरीर को ढककर निकलना चाहिए| इसके अलावा -  

नियमित पौष्टिक आहार जैसे ग्रीष्म ऋतु के (सीज़नल) फल/सब्जियां खाये 
सब्जियों व फलों
 को धोकर ही  खाना चाहिए 

बाहर से आने के बाद कम से कम 20 सेकंड तक साबुन से हाथ जरूर धोएं।

योग ,प्राणायाम करें  व ऐसे पौष्टिक  आहार  और आयुर्वेदिक  औषधियों का सेवन करें जो आपकी  रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ायें ।

प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने निम्नलिखित औषधियां का सेवन भी किया जा सकता है   -

1. च्यवनप्राश

2. च्यवनविट

3. केसरी कल्प

4. अगस्त्य हरितकी

5. गिलोय जूस

6. आंवला जूस

7. व्हीट ग्रास जूस

8.गुडूची (गिलोय) घनबटी

9. संशमनी बटी

10. शिलाजीत कैप्सूल

11. अमृतारिष्ट

12. अश्वगंधारिष्ट

13. आमलकी रसायन

14. अश्वगंधादि चूर्ण

15. तुलसी अर्क

 

ग्रीष्म ऋतु में जठराग्नि मंद होने के कारण अपच, दस्त, उल्टी आदि बीमारियाँ भी उत्पन्न हो सकती हैं। इनसे बचने के लिए दिन में ताजा हलका सुपाच्य भोजन करें। व निम्नलिखित औषधियों का सेवन कर सकते है -

1. अमीबिका टैबलेट 

2 . चित्रकादि बटी 

3. कुटजघन बटी 

4. इसबबेल दाने 

 

पथ्य - ग्रीष्म ऋतु में पौष्टिक आहार जैसे -पुराने साठी के चावल, गेहूँ, दूध, मक्खन तथा गाय के घी के सेवन से शरीर में शीतलता, स्फूर्ति और शक्ति आती है। सब्जियों में लौकी, कुम्हड़ा (पेठा), गिल्की, नेनुआ, परवल, पालक, नींबू, चौलाई, खीरा, ककड़ी, हरा धनिया, पुदीना और फलों में तरबूज, खरबूजा, नारियल, संतरा, मौसमी, आम, सेब, अनार, फालसे का सेवन लाभदायी है। गर्मी से बचने के लिए शीतपेय कोल्ड ड्रिंक्स को छोड़कर बैद्यनाथ निर्मित शीतपेय आमला जूस, व्हीटग्रास जूस ,लद्दाखबेरी जूस, एलोवेरा जूस लेना चाहिए |

अपथ्य - इस ऋतु में रूखे, बासी, तेज मिर्च-मसालेदार तथा तले भुने पदार्थ, अमचूर, अचार, इमली आदि खट्टे पदार्थ न खायें। कोल्ड ड्रिंक्स, आइसक्रीम, आइसफ्रूट, डिब्बाबंद फलों के रस का सेवन न करें। ये पदार्थ पित्तवर्धक होने के कारण आंतरिक गर्मी बढ़ाते हैं।

नोट - उपरोक्त औषधि चिकित्सक की देख रेख में करें | 

 

 

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