बैद्यनाथ मधु
शहद को संस्कृत भाषा में मधु कहते हैं। मधु का प्रयोग आयुर्वेदिक औषधियों के साथ अनुपान के रूप में प्रयोग होता है। आयुर्वेद में ऐसा माना जाता है कि मधु के साथ सेवन करने से औषधियों के गुणों और उनकी बायोअवेलेबिलिटी में इजाफा होता है और शरीर में उनका मेटाबोलिज्म भी तेजी से होता है।
मधु बिभिन्ना बीमारियों के प्रति शरीर की इम्युनिटी भी बढ़ाता है।खांसी,जुकाम जैसे रोगों में भी यह बहुत लाभकारी है। अक्सर वजन कम करने के लिए इसका सेवन सुबह-सुबह गुनगुने जल के साथ किया जाता है।
लोगों के दिमाग में अक्सर ये प्रश्न होता है की असली शहद किस कंपनी का होता है। तो आपको सलाह ये है कि किसी मान्यताप्राप्त और विश्वसनीय कंपनी का शहद ही आप बाजार से खरीदें,जैसे बैद्यनाथ मधु, जो कि १०० % प्राकृतिक है और इसे किसानों से खरीदकर, पैक करके सीधा बाजार में बिक्री के लिए भेजा जाता है।
चूँकि जंगली मधुमक्खियां कई प्रकार के फूलों का रस इकट्ठा कर छत्ते में शहद बनाती है इसलिए जंगली शहद के गुण भी बहुत उत्तम होते हैं। प्रसिद्ध और मान्यता प्राप्त आयुर्वेदिक ग्रन्थ भावप्रकाश के अनुसार बसंत ऋतू (फरवरी-मार्च) फूलों का रस चूसकर मधुमखियां जो शहद बनाती हैं उससे गर्मी के महीनों में जो शहद प्राप्त होता है वह मधु गुणों में उत्तम होता है।
बैद्यनाथ द्वारा भी इसी कारण गर्मी के मौसम में ही मधु की खरीद कर ली जाती है है जिससे की ग्राहकों को सर्वोत्तम क्वालिटी का शहद उपलब्ध हो सके।
सेवन मात्रा -५ ग्राम से १० ग्राम सुबह शाम।