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अम्लपित्त (हाइपरएसिडिटी)

 

अनुचित खानपान और आहार बिहार के कारण पित्त प्रकुपित हो जाता है और यह प्रकुपित पित्त अमाशय में अम्ल की मात्रा को बढ़ा देता है तो इस रोग को  अम्लपित्त या हाईपरएसिडिटी कहते हैं

ज्यादा गर्म, तीखा, मसालेदार भोजन करने, अत्यधि खट्टी चीजों का सेवन, देर से पचने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन, नशीले पदार्थों का सेवन करने से हाइपर एसडिटी जैसा रोग होता है।पुराना खाया हुआ पचने से पहले फिर से खा लेना, अजीर्ण के बाद भी खाते रहना भी इस रोग के प्रमुख कारणों में से है।  

इस रोग के प्रमुख लक्षण इस प्रकार है:अपच,खट्टी डकार,सीने में जलन,शरीर में भारीपन,उलटी आना या उलटी की इच्छा होना,मुँह में खट्टा पानी आना ,आँखों और शरीर में जलन इस रोग के प्रमुख लक्षण होते हैं। 

 

अम्लपित्त से बचाव केलिए आपको सावधानी बरतनी चाहिए, ऊपर बताये गए कारणों से दूर रहने का प्रयास करना चाहिए। हल्का भोजन करना चाहिए

अत्यधि गर्म, तीखा मसालेदार भोजन करने से बचें। भारी खाद्य पदार्थों को भी खाने से बचें, ये आसानी से नहीं पचते जिससे आपकी समस्या कम होने के बजाए बढ़ जाती है।   

 

अम्लपित्त का आयुर्वेदिक उपचार 

यदि उपरोक्त बताये गए कारणों से दूर रहने के बाद भी आराम  मिले तो नीचे बतायी  गई आयुर्वेद चिकित्सा करनी चाहिए 

 

-अविपत्तिकर चूर्ण ३० ग्राम

प्रवाल भस्म  ग्राम

कामदुधा रस  ३० टैबलेट 

मोती पिष्टी ग्राम

 

ऊपर बताये गए योग की ३० खुराक बनाकर - सुबह शाम ठंडे पानी से लें 

 

-अम्लपित्तान्तक योग 

- सुबह शाम 

 

-अम्लपित्तान्तक सीरप 

- चम्मच सुबह शाम लें