डायरिया (दस्त)
लगातार लूज मोशन यानि पतला दस्त आना डायरिया कहलाता है।डायरिया वायरल, बैक्टेरियल संक्रमण के कारण तो होता ही है लेकिन सबसे कॉमन कारण है खान-पान में गड़बड़ी, प्रदूषित पानी और आंत की गड़बड़ी। डायरिया में शरीर में पानी की कमी हो जाती है जिसे डिहाइड्रेशन कहते हैं जो काफी गंभीर होता है। इससे शरीर कमजोर हो जाता है, शरीर में संक्रमण फैलने का खतरा काफी बढ़ जाता है। समय पर इलाज नहीं होने पर मरीज की जान भी जा सकती है। आम तौर पर डायरिया 3 से 7 दिनों तक परेशान करता है। डायरिया वैसे तो कभी भी हो सकता है, लेकिन बरसात में वायरल डायरिया ज्यादा परेशान करता है। इसकी वजह गंदा पानी और खाना-पीना है। डायरिया अचानक हो जाता है और कोर्स पूरा होने के बाद ही खत्म होता है। पेट में ज्यादा एसीडिटी बनने से भी डायरिया होती है। यह सभी उम्र के लोगों को परेशान करता है।
डायरिया क्या खाएं और क्या न खाएं ?
जीवन रक्षक घोल यानी ओ.आर.एस. घोल या एक गिलास पानी में एक चम्मच चीनी और चुटकी भर नमक मिलाकर थोड़ी-थोड़ी देर बाद एक-एक कप पिएं। भोजन के रूप में दही-चावल या खिचड़ी खाएं। चावल का धोवन (चावल उबलने के बाद बचा हुआ गाढ़ा सूप ), मूंग या मसूर की दाल का सूप, साबूदाना की खीर, छाछ या दही इच्छानुसार सेवन करें। केले और चावल खाना चाहिए | दोपहर के भोजन में लौकी का रायता या दही की लस्सी लें। एक कप दही में एक केला मिलाकर सुबह, दोपहर, शाम सेवन करें।
डायरिया होने पर शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है इसलिए गाजर का सूप पियें | बासी, तली, भारी, मिर्च-मसालेदार चीजो का सेवन न करें। ज्यादा गर्मी में शराब, चाय, कॉफी, कम पिये या ना पियें क्योकि इससे शरीर में और ज्यादा गर्मी बढ़ जाती हैं जो कुछ लोगो के लिए डायरिया का कारण बन सकती हैं | बासी, खट्टी महक वाला दूध न पिएं । मक्खियां बैठी या बिना ढकी हुई खाने-पीने की चीजें न खाएं। फ्रिज में रखे हुए पदार्थ बाहर निकाल कर तुरंत न खाएं। आलू, इमली, बैगन, गोभी, अचार का सेवन न करें। दावतों में बहुत पहले से कटे हुए प्रदूषित सलाद के सेवन से बचें। अंगूठों और अंगुलियों के नाखून न बढ़ाएं और न उनमें मैल जमा होने दें। गंदा व बासी पानी न पिएं। पीने का पानी उबालकर, ठंडा करके पिएं। शरीर में पानी और नमक की कमी बिलकुल ना हो इस बात का ख्याल रखें | थोड़ी- थोड़ी मात्रा में तरल पदार्थ लेते रहें
डायरिया का आयुर्वेदिक इलाज
1.अमीबिका टेबलेट 2-2 सुबह शाम छाछ के साथ। 2.कुटजघन बटी 2-2 गोली सुबह दोपहर शाम जल से 3.इसब्बेल दाने 1-1 चम्मच सुबह शाम
4 -बिल्बादी चूर्ण 60 ग्राम
शंख भस्म 10 ग्राम
शूलवर्जिनी बटी 40 गोली
जहर मोहरा खताई पिष्टि 10 ग्राम
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सबको मिलाकर 40 पुड़िया
1-1 पुड़िया शुबह दोपहर शाम जल के साथ