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माइग्रेन

भागदौड़ की जिंदगी,खराब जीवनशैली और मानसिक तनाव की बजह से माइग्रेन के मरीजों  की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। माइग्रेन एक तरह की न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम है।  जिसमें रह-रह कर सिर में एक तरफ बहुत ही चुभन भरा दर्द होता है। ये कुछ घंटों से लेकर तीन दिन तक बना रहता है। इसमें सिरदर्द के साथ-साथ गैस बनना, जी मिचलाना, उल्टी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।  इसके अलावा चक्कर आना और कमजोरी भी माइग्रेन के लक्षण हो सकते हैं।माइग्रेन के दौरान रक् प्रवाह भी धीमा हो जाता है, जिससे हाथ-पैर ठंडे पड़ने लगते हैं और रोशनी तथा आवाज़ के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है।महिलाओं को माइग्रेन होने का खतरा पुरुषों की अपेक्षा अधिक होता है।

 

माइग्रेन से बचाव कैसे करें ?

माइग्रेन से बचने के लिए किसी भी प्रकार की अति से बचे। आपकी जीवन शैली का आधार हर चीज में संयम संतुलन होना चाहिए। एलोपैथिक दर्द निवारक दवाइयों के सेवन से बचें क्योंकि वे इस समस्या को और बढ़ा देती हैं तथा इसलिए भी क्योंकि फिर आप इस समस्या के मुख्य कारण पर  ध्यान देकर दर्द और दर्दनिवारक दवाइयों के टुष्चक्र में फंसकर रह जाते हैं।

 

 

आयुर्वेदिक उपचार -

रोगी को वैद्य से जरूर चिकित्सा परामर्श लेना चाहिए क्योंकि माइग्रेन के कारण जानना आवश्यक है। नीचे कुछ उपयोगी आयुर्वेदिक उपचार  घर में इस्तेमाल कर सकते हैं। 1. सिरशूलादि बज्र रस 1-1सुबह शाम 15 ml पथ्यादि काढ़ा से 2. अविपत्तिकर चूर्ण 60 g

      महावातविध्वंसक रस 60 टेबलेट

      गोदन्ती भस्म 10 g

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सबको मिलाकर 60 पुड़िया फिर 1-1 सुबह शाम

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3. स्ट्रेसविंन टेबलेट 1-1 टेबलेट सुबह  शाम

4 .गैसांतक बटी 2-2 भोजन के बाद दोपहर और शाम