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वायरल फीवर कारण और निवारण

वायरल फीवर इस मौसम में होने वाली एक खतरनाक समस्या है।हर उम्र के लोग इससे पीड़ित हो जाते हैं।इस रोग में सिरदर्द ,हल्का या तेज बुखार  ,खांसी जुकाम,गले में दर्द इत्यादि लक्षण होते है।मौसम बदलते ही वातावरण में वायरस सक्रिय हो जाते हैं और हमारी इम्यूनिटी बहुत ही कमजोर,जिस वजह से तुरंत ही इंफेक्शन हो जाता है।

हर कोई खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रखना चाहता है।हम चाहते है कि बीमारी फैलने से पहले ही उसकी रोकथाम हो जाए एलोपैथिक चिकित्सा बीमारी होने के बाद ही असरकारक है इसमें ऐसा कोई उपाय नहीं है जिससे की रोग फैलने से पहले ही इसकी रोकथाम की जाए।आयुर्वेद हमारे देश की हजारों साल पुरानी चिकित्सा पद्धति है,जिसमें ना केवल रोग के उपचार बल्कि रोग की रोकथाम का वर्णन भी है।

चरक ,शुश्रुत ,वागभट्ट जैसे आचार्यों ने बताया है कि किस प्रकार ऋतु चर्या और कुछ विशेष औषध द्रव्यों का प्रयोग कर रोग से बचाव और रोग निवारण किया जा सकता है।जैसे कि आप जानते है कि बैद्यनाथ भारत की सबसे पुरानी आयुर्वेदिक कम्पनियों में से एक है और ७०० से भी ज्यादा आयुर्वेदिक दवाएं बनाती है, निरंतर प्रयास में है कि किस प्रकार आयुर्वेद दवाओं के माध्यम से जनसेवा की जा सके। इसी क्रम में वायरल फीवर जैसे रोगों की रोक थाम और उपचार के लिए कुछ दवाओं का निर्माण किया जाता है।

नीचे बैद्यनाथ द्वारा वायरल फीवर की कुछ दवाओं और सेवन विधि का वर्णन नीचे दिया जा रहा है।आपसे अनुरोध है कि इसे इस्तेमाल करने से पहले अपने चिकित्सक की राय अवश्य ले लें 

 

 

 

बचाव वा रोकथाम के लिए

 

गुडुची(गिलोय) घन बटी - टैब सुबह शाम

पपेनविन टैबलेट - टैबलेट सुबह शाम

च्यवनप्राश स्पेशल - चम्मच  सुबह शाम

पूरा महीने तक सेवन करें

 

 

वायरल फीवर हो जाने पर

फीवरकट ३० टैब

गुडूची(गिलोय)घन बटी ३० टैबलेट

पपैनविन ३० टैबलेट

अभ्रक भस्म ग्रा

गोदन्ती भस्म ग्रा

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उपरोक्त सभी को पीसकर ३० पुड़िया बनाएं और - पुड़िया दिन में बार शहद से लें

 

जुकाम वा खांसी भी यदि साथ में हो तो  जुकामो सिरप  और गुलबनप्सादी काढ़ा - चम्मच सुबह शाम गुनगुने पानी से ले

 

विशेष - बच्चों में दवा की डोज चिकित्सक की सलाह से निश्चित करें।