किडनी स्टोन (मूत्रमार्ग के पथरी)
आज के समय में पथरी हो जाना एक आम समस्या है। पथरी का जिक्र २ जगहों की पथरी को लेकर किया जाता है, एक तो गॉल ब्लैडर (पित्ताशय) की पथरी और दूसरी यूरिनरी ट्रैक्ट (मूत्रमार्ग) की पथरी।यहाँ पर हम मूत्रमार्ग की पथरी के बारे में चर्चा करेंगे। मूत्रमार्ग में ३ मुख्य भाग होते है ,किडनी,पेशाब की नालियां (युरेटर) जिनसे किडनी में बनी हुई पेशाब मूत्राशय में आती है और मूत्राशय(यूरिनरी ब्लैडर) जिसमे पेशाब इकट्ठी होती है। मूत्र मार्ग में इन ३ जगहों में से कहीं भी पथरी हो सकती है। इस रोग में असहनीय पीड़ा, पेशाब में इन्फेक्शन और किडनी को नुकसान हो सकता है। इसलिए पथरी के बारे में और उसे रोकने के उपायों को जानना जरुरी है।
पथरी अक्सर कैल्शियम ऑक्सलेट या कभी कभी कैल्शियम यूरेट की भी बनी होती है। जिनके क्रिस्टल्स एक ही स्थान पर इकट्ठे होते रहते हैं जो बाद में कठोर हो जाते हैं। इनका आकार और स्वरुप अलग अलग प्रकार का होता है। यह २ मिमी आकार से २० मिमी तक की हो सकती है। जिसकी सतह चिकनी होती है वह आसानी से पेशाब के साथ निकल जाती है,और दर्द भी कम होता है जिन पथरी की सतह खुरदरी होती है वह बहुत तेज दर्द देती है और आसानी से बाहर नहीं निकलती।
पथरी न हो इससे बचने के लिए खूब पानी पियें जिसमे कैल्शियम की मात्रा कम हो। ज्यादा पानी पीने से पेशाब ज्यादा बनती है और पथरी पेशाब के दबाब से बाहर भी निकल आती है। दूध व उससे बने पदार्थ न खायें।
आयुर्वेदिक उपचार
आयुर्वेद में ऐसी बहुत सी जड़ी बूटी और भस्मों के बारे में बताया गया है जो पथरी निकालने में बहुत कारगर है जैसे पाषाणभेद,गोखुरू,पुनर्नवा,हजरूल यहूद भस्म इत्यादि।ये जड़ी बूटिया स्वाभाव से मूत्रल(पेशाब ज्यादा लाने वाली) होती हैं और पथरी को तोड़ कर बाहर निकाल देती है। बैद्यनाथ ने उक्त बताई गयी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के संयोग से पथरीना टेबलेट व पथरीना सीरप का निर्माण किया है जो कि पथरी को निकालने एवं पेशाब की जलन शांत करने में बहुत उपयोगी है।
पथरीना टेबलेट
पेकिंग -५० टेबलेट
पथरीना सीरप
पेकिंग १०० मिली,२०० मिली