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खांसी का आयुर्वेदिक उपचार

खांसी आम तौर पर होने वाली एक सामान्य समस्या है जिसके साथ साथ में अक्सर जुकाम भी होता है

आयुर्वेद में खांसी को कफ  विकारों के रूप में जाना जाता है। खाँसी आम तौर पर श्वास नली मैं बलगम के इकट्ठा होने के कारण होती है वैसे तो सभी चिकित्सा पद्धतियों में  खांसी के लिए  बहुत सी दवाओं का वर्णन है  लेकिन आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति  लोगों की जीवनशैली से जुड़े होने के कारण सबसे अधिक लोकप्रिय है एलोपैथिक दवा  आमतौर पर खाँसी को दबाने की कोशिश करती है, लेकिन आयुर्वेदिक उपचार खांसी के मूल को समाप्त करने में एवं जमा हुए बलगम को काटकर बाहर निकालने में सर्वाधिक उपयोगी है

खांसी के पीछे  बहुत सारे कारण है  जैसे धूल, अत्यधिक व्यायाम इत्यादि और बदलता हुआ मौसम के कारण होने वाले बैक्टीरिया एवं वायरस के कारण संक्रमण भी इसका मुख्य कारण हो सकता है

आयुर्वेद में खांसी जुकाम जैसी सामान्य व्याधियों के लिए बहुत से घरेलू उपचार और चिकित्सा पद्धति का वर्णन है देसी अदरक काली मिर्च लौंग दालचीनी हल्दी इत्यादि

खांसी सामान्यता दो प्रकार की होती है सूखी खांसी और गीली खांसी या बलगम युक्त खांसी

बैद्यनाथ द्वारा खांसी की चिकित्सा के लिए बहुत सी दवाइयों का निर्माण किया जाता है जिनमें से कासामृत जुकामो गुलवनपसादी काढ़ा इत्यादि प्रमुख है नीचे सूखी एवं  गीली  खांसी  के उपचार के लिए व्यवस्थापत्र दिए जा रहे हैं आप आवश्यकतानुसार इसे प्रयोग कर सकते हैं

 

सूखी खांसी के लिए 

कफ कुठार रस

सितोपलादि चूर्ण

कासामृत हर्बल सिरप

 

गीली खांसी के लिए

तालीसादि चूर्ण

अभ्रक भस्म

 टंकण भस्म 

गुलवनपसादी काढ़ा