डायबिटीज(मधुमेह)
आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में डायबिटीज को दो प्रकार का बताया गया है टाइप १ और टाइप २.
टाइप १ डायबिटीज इन्सुलिन की कमी से होती है और यह जीवन की किसी भी अवस्था में हो जाने वाला रोग है। इन्सुलिन एक हार्मोन है जो पैंक्रियास से निकलता है और रक्तशर्करा के लेवल को सामान्य बनाये रखता है ,साथ ही कोशिका के भीतर शर्करा के विखंडन से ऊर्जा निकलने की प्रक्रिया में सहयोगी है।
जब पैंक्रियास से इन्सुलिन की कम मात्रा निकलती है तो इन्सुलिन की कमी के कारण रक्त शर्करा का पूरा उपयोग कोशिकाओं द्वारा नहीं हो पाता ,इस रोग को डायबिटीज टाइप १ कहते है।
टाइप २ डायबिटीज में किसी कारणवश कोशिकाएं उपलब्ध इन्सुलिन का समुचित प्रयोग करने में अक्षम हो जाती हैं जिससे की रक्तशर्करा का पूर्ण उपयोग ठीक से नहीं कर पाती और यह अप्रयुक्त रक्तशर्करा रक्त में बढ़ने लगती है इसे टाइप २ डायबिटीज कहा जाता है।
आयुर्वेद में चिकित्सा
आयुर्वेद में रक्तशर्करा को नियंत्रित करने की बहुत से औषधियां हैं जिनमे से बैद्यनाथ द्वारा निर्मित मधुमेहरि दाने सबसे अधिक प्रचलन में है। इसके साथ ही मधुमेहारि योग नाम से एक और औषधि बहुत प्रचलन में है इसे मधुमेहनाशिनी गुटिका के नाम से भी जाना जाता है। ये औषधियां निम्नप्रकार से रक्तशर्करा नियंत्रण सहयोग करती है।
१-बढ़ी हुई रक्त शर्करा को सामान्य स्तर पर को बनाये रखती है।
२- टाइप १ डायबिटीज के रोगिओं में इन्सुलिन की मात्रा को बढ़ाते हैं।
३-टाइप २ डायबिटीज में कोशिकाओं द्वारा रक्तशर्करा के समुचित उपयोग की क्रिया को बढ़ाते है
४-डायबिटीज के कारण होने वाली शारीरिक कमजोरी को दूर करते है।
५- बार बार पेशाब आना ,मुँह सूखना इत्यादि लक्षणों में लाभकारी है।
पेकिंग साइज़-मधुमेहारि योग-३० टेबलेट
मधुमेहारि दाने -१०० ग्राम