अमीबिका टेबलेट : आंव पेचिश व दस्त में उपयोगी
रोग परिचय
आजकल गंदे पानी और साफ सफाई का ध्यान न रखने के कारण बहुत से संक्रामक रोग पैदा होने का खतरा रहता है। पेचिश व दस्त भी इसी प्रकार के रोग है। संक्रामक रोगों की रोकथाम सभी को चाहिए की दूषित खान पान और पानी के सेवन से बचें।
नए अध्ययनों से पता चला है की पेचिश व दस्त एंटमीबा हिस्टोलिटिका नामक एक परजीवी के कारण होता है। ये परजीवी आँतों में अपनी कॉलोनी बना लेते हैं और विषैले पदार्थ आँतों में छोड़ते हैं, इस इन्फेक्शन मल के साथ म्यूकस बाहर आता है एवं पेट दर्द ऐंठन इत्यादि लक्षण होते हैं।
लम्बे समय तक चिकित्सा न की जाये तो यह रोग असाध्य हो जाता है। एंटमीबा हिस्टोलिटिका के संक्रमण के कारण होने वाली पेचिश को अमीबीएसिस कहा जाता है।
अमीबिका टेबलेट
अमीबीएसिस की आयुर्वेदिक चिकित्सा के लिए बैद्यनाथ रिसर्च फाउंडेशन ने गहन अध्यन के बाद अमीबिका टेबलेट का निर्माण किया है।
अमीबिका पुरानी से पुरानी पेचिश व ग्रहणी रोगों के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हुई है। इस औषध के निर्माण में कुटज छाल का घनसत्व व अर्शोघ्नी बटी को लिया गया है। अमीबिका टेबलेट परजीविओं समाप्त कर पेचिश, दस्त और ग्रहणी रोग से छुटकारा दिलाती है।
ग्रहणी रोग को आधुनिक चिकित्सा विज्ञानं में कोलाइटिस कहा जाता है। जिसमे की बड़ी आंत के कोलन नमक हिस्से में लगातार सूजन बनी रहती है और मल त्याग की प्रवृत्ति बार बार होती है।
अमीबिकाटेबलेट कोलिटियस में भी बहुत लाभकारी है।अमीबिका का सेवन बैद्यनाथ द्वारा निर्मित ईसब्बेल हर्बल दाने के साथ करने से शीघ्र लाभ होता है। अन्य अनुपान के रूप म बैद्यनाथ कुटजारिष्ट का सेवन करना चाहिए।
सेवन मात्रा
१ से २ टेबलेट सुबह शाम गुनगुने जल के साथ या उपरोक्तानुसार अनुपान के साथ लें।