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जब मानव जाति जीवन विज्ञान के बारे में कुछ नहीं जानती थी और चिकित्सा के बारे में बहुत ही कम जानकारी उपलब्ध थी उस समय जीवन जीने की इस विधा का उदय भारत वर्ष में हुआ।
5000 से अधिक साल पहले, भारत में आयुर्वेद का जन्म हुआ - `आयु ` का अर्थ है 'जीवन' और 'वेद' का अर्थ है 'सार' अर्थात जो विज्ञान जीवन का सार है वह 'आयुर्वेद' है। यह विज्ञान मनुष्य के सामाजिक,आध्यात्मिक व मानसिक स्वास्थय का संरक्षण करता है.
यह एक ऐसा विज्ञानं है जो न केवल रोग को ठीक करता है बल्कि रोगों की रोकथाम भी करता है। अपने उदय के कुछ समय बाद ही इसका प्रचार-प्रसार दूर देशों जैसे मध्य पूर्व के देशों ,तुर्की ,ग्रीस व मिश्र जैसे देशों में भी हुआ।
आयुर्वेद में प्रकृति की उपचारात्मक शक्तियों की समझ है.ज्यादातर सभी आयुर्वेदिक योग जड़ी-बूटीयों के फल, बीज, जड़,गोंद , फूल और लेटेक्स आदि से बनाई जाती हैं।
आधुनिक चिकित्सा के प्रादुर्भाव के साथ ही में केमिकल युक्त दवाओं के प्रभाव एवं उसी के साथ होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में पता चला।जबकि आयुर्वेद में ऐसा नहीं है क्योंकि इन औषधियों का कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता हालाँकि बहुत से लोग इस बात पे आश्चर्य करते हैं कि बिना किसी दुष्प्रभाव के किसी औषधि का प्रभाव कैसे संभव है। शायद अपने इसी गुण के कारण पिछले ५००० वर्षों से सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा विज्ञानं के रूप में प्रतिष्ठित है।
आयुर्वेद का वर्णन इस पृथ्वी पर पाए जाने वाली पुराने ग्रंथो में भी है.चार प्रमुख वेदों में से एक अथर्व वेद में इसका सर्वप्रथम वर्णन मिलता है। अथर्ववेद में 'अथर्व का' अर्थ है 'औषधि ' .
पंडित रामनारयण शर्मा ने वर्ष १९१७ में आयुर्वेद औषधियों की एक छोटी निर्माणशाला की स्थापना बैद्यनाथ धाम ,बिहार में की और आज यह छोटी सी शुरुआत विशालतम निर्माणशालों में परिवर्तित होकर निम्नलिखित स्थानों पे सफलतापूर्वक चलाई जा रही है -
1.
1921 में कोलकाता
2.
1940 में पटना
3.
1941 में झांसी
4.
1942 में नागपुर
5.
1958 में इलाहाबाद
वैद्य जी ने अपने इस अभियान को नाम दिया श्री बैद्यनाथ आयुर्वेद भवन.
जब और बड़े स्तर पर औषधि निर्माण की जरुरत पड़ी तब बद्दी (हिमांचल प्रदेश ) एवं काशीपुर (उत्तराखंड) एवं सेवनी(मध्य प्रदेश) में नयी निर्माणशालाओं की स्थापना की गई जो की अब भी सुचारु रूप से जारी है.
फार्माकोग्नॉसी एवं क्लीनिकल रिसर्च की शुरुआत ने आयुर्वेद में रिसर्च के एक नए युग का आरम्भ हुआ और इसमें एक कदम आगे आते बैद्यनाथ ने पुराने शास्त्रीय योगों का मानकीकरण करना आरम्भ किया और नए नए योगों का निर्माण एवं उनका क्लीनिकल अध्ययन आरम्भ किया और आयुर्वेद को विकसित करके एक नया आयाम जोड़ा
बैद्यनाथ द्वारा 700 से भी अधिक आयुर्वेदिक औषधियां का निर्माण का निर्माण अपनी निर्माण शालाओं में किया जाता है। यह औषधियां 100000 से भी अधिक खुदरा दुकानों पर बेची जाती हैं एवं 50000 से भी अधिक आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा इस्तेमाल की जाती हैं और अन्य किसी कंपनी की औषधियों के मुकाबले पसंद की जाती हैं। अपने अनुभव के आधार पर वैदनाथ ने आधुनिक युग की आवश्यकताओं के हिसाब से इंफ्रास्ट्रक्चर एवं तकनीकी भी डेवलप की है जिसमें की बेहतरीन मानव संसाधन बेहतरीन मशीनों के साथ बेहतरीन दवाओं का निर्माण करते हैं। बैद्यनाथ प्रयासरत है कि हजारों वर्ष पुरानी चिकित्सा विधा वर्षों पर्यंत इसी प्रकार पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती रहे है और बैद्यनाथ आयुर्वेद का सजग प्रहरी बन कर इसके लिए पूरे मनोयोग से जुटा है।
निर्माणशालाएं एवं सुविधाएं
श्री बैद्यनाथ आयुर्वेद भवन प्राइवेट लिमिटेड 700 से भी अधिक आयुर्वेद दवाओं का निर्माण करता है और भरसक प्रयत्न करता है की गुण व मात्रा के हिसाब से बाजार की आवश्यकताओं को पूरा कर सके। बैद्यनाथ के पास कुशल औषधि निर्माणकर्ता है जोकि सभी मानकों का ध्यान रखते हुए सर्वोत्तम प्रोडक्ट्स का निर्माण करते हैं। यह सभी प्रोडक्ट ऑटोमेटिक प्लांट में पैक किए जाते हैं और इस दौरान इन्हें किसी भी प्रकार का मानव स्पर्श नहीं किया जाता। सभी प्रोडक्शन सुविधाएं जीएमपी स्टैंडर्ड को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है और यह निश्चित किया जाता है की आयुर्वेद की गुणवत्ता में एवं प्रतिष्ठा में किसी प्रकार की कोई त्रुटि ना रहे।
बैद्यनाथ की क्वालिटी एवम कसौटी
जीएमपी स्टैंडर्ड का पालन करते हुए बैद्यनाथ सुनिश्चित करता है कि जो भी प्रोडक्ट तैयार किए जाए वह क्वालिटी वह गुणों में सर्वोत्तम हो जिससे कि अपने ग्राहकों के साथ स्थापित सैकड़ों बरसों पुराना यह संबंध व विश्वास अनवरत जारी रहे। बैद्यनाथ का क्वालिटी कंट्रोल जड़ी बूटियों की खरीद के साथ शुरू होता है जहां जड़ी बूटी की खरीद के पहले उसकी भली प्रकार जांच की जाती है फिर उसे नियमानुसार तैयार किया जाता है, और आखिर में पैकिंग के लिए भेजा जाता है। प्रत्येक निर्माण शाला में वैद्यनाथ के पास क्वालिटी कंट्रोल विभाग है जो सुनिश्चित करता है की आधुनिक स्टैंडर्ड के अनुसार वही प्रोडक्ट बाजार में जाएं जिनकी क्वालिटी टेस्टिंग की जा चुकी हो और ग्राहकों को सर्वश्रेष्ठ क्वालिटी के प्रोडक्ट उपलब्ध हो।
प्रोडक्ट प्रोफाइल- हर क्षेत्र में विशेषज्ञता
वैद्यनाथ के पास 700 से भी अधिक ओ टी सी एवं प्रिस्क्रिप्शन प्रोडक्ट्स है जिसके कारण इसे आयुर्वेद के क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी औषधि निर्माता कंपनी के तौर पर देखा जाता है। बैद्यनाथ की ओ टी सी प्रोडक्ट कैटेगरी बाजार में बहुत ही पसंद की जाती है जैसे वैद्यनाथ च्यवनप्राश,मधुमेहारी दाने, शंखपुष्पी ,सुंदरी सखी इत्यादि और यह प्रोडक्ट तो आज घर घर की जरूरत बन गए हैं। इसके अलावा प्रिस्क्रिप्शन दवाएं देश में 50000 से भी अधिक आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा इस्तेमाल की जाती हैं और यह सिलसिला पिछले 100 वर्षों से लगातार जारी है।
रिसर्च एंड डेवलपमेंट- नई चुनौतियों का सामना
रिसर्च एंड डेवलपमेंट वैद्यनाथ का हमेशा से मुख्य केंद्र रहा है यहां पर वैज्ञानिकों की एक टीम हमेशा नए औषधीय योगों का निर्माण व खोज में लगी रहती है साथ में यह भी ध्यान रखा जाता है कि वर्तमान समय में उपयोग किए जा रहे औषधीय योगों की गुणवत्ता में किस प्रकार सुधार किया जाए। वैद्यनाथ की रिसर्च एंड डेवलपमेंट विंग में बैजनाथ रिसर्च फाउंडेशन में सुयोग्य वैद्य, वैज्ञानिक एवं तकनीकी स्टाफ हमेशा इन प्रयासों में लगे रहते हैं। अभी वर्तमान समय में वैद्यनाथ द्वारा सिंगल एंड मल्टीपल इंग्रेडिएंट हर्बल हेल्थ केयर प्रोडक्ट्स एंड हेल्थ सप्लीमेंट्स पर शोध कार्य किया जा रहा है। वैद्यनाथ द्वारा मासिक पत्रिका सचित्र आयुर्वेद का प्रकाशन हर तिमाही किया जाता है जिसमें की वैद्यनाथ द्वारा की गई नई नई खोजें की जानकारी एवं वैदनाथ द्वारा किए जा रहे सामाजिक कार्यक्रमों के बारे में सूचना उपलब्ध करायी जाती है एवं वैज्ञानिकों के नए नए शोध पत्र भी प्रकाशित किए जाते हैं।
वैद्यनाथ रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना के साथ ही बैदनाथ ने नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं।वैद्यनाथ द्वारा पुरानी जड़ी बूटियों के संरक्षण एवं उत्पादन के लिए हिमाचल प्रदेश में रिसर्च स्टेशन की स्थापना भी की गई है।
मानव संसाधन -उत्तम सर्वोत्तम
बैद्यनाथ के पास 2000 से भी ज्यादा प्रोफेशनल वर्कर्स की टीम है जोकि अपने अपने क्षेत्र के एक्सपर्ट हैं और इन्हीं मानव संसाधनों के सहयोग एवं योग्यता से बैद्यनाथ आज इन बुलंदियों पर है। मानव संसाधन की महत्वता को समझते हुए बैद्यनाथ अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा मानव संसाधन पर खर्च करता है। बैद्यनाथ के पास आज के समय 1700 स्किल्ड वर्कर 200 से अधिक मार्केटिंग प्रोफेशनल 25 रिसर्च प्रोफेशनल और 125 मैनेजमेंट प्रोफेशनल है जो आपस में समन्वय स्थापित कर एक मकसद लेकर काम कर रहे हैं और वह है वैद्यनाथ एवं आयुर्वेद को सर्वश्रेष्ठ ऊंचाइयों पर पहुंचाना।
व्यापारिक संबंध एवं सहभागिता
श्री बैद्यनाथ आयुर्वेद भवन के फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री में संबंध अत्यंत महत्वपूर्ण है एवं एवं यह संस्थान विश्वास करता है कि पूरी की पूरी इंडस्ट्री का एक ही मकसद है देश की उन्नति एवं आयुर्वेद का विकास। जड़ी बूटियों के क्वालिटी स्टैंडर्ड को बढ़ाने के लिए कंपनी औषधीय पादपों का की खेती को भी प्रोत्साहित करती है जिसके लिए क्षेत्रीय किसानों से संपर्क स्थापित कर उन्हें औषधीय पौधों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाता है एवं नई नई तकनीके सिखाई जाती हैं। मानव संसाधन -उत्तम सर्वोत्तम
बैद्यनाथ के पास 2000 से भी ज्यादा प्रोफेशनल वर्कर्स की टीम है जोकि अपने अपने क्षेत्र के एक्सपर्ट हैं और इन्हीं मानव संसाधनों के सहयोग एवं योग्यता से बैद्यनाथ आज इन बुलंदियों पर है। मानव संसाधन की महत्वता को समझते हुए बैद्यनाथ अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा मानव संसाधन पर खर्च करता है। बैद्यनाथ के पास आज के समय 1700 स्किल्ड वर्कर 200 से अधिक मार्केटिंग प्रोफेशनल 25 रिसर्च प्रोफेशनल और 125 मैनेजमेंट प्रोफेशनल है जो आपस में समन्वय स्थापित कर एक मकसद लेकर काम कर रहे हैं और वह है वैद्यनाथ एवं आयुर्वेद को सर्वश्रेष्ठ ऊंचाइयों पर पहुंचाना।बैद्यनाथ के कुछ व्यापारिक सहयोगी कंपनियां निम्न प्रकार से हैं-
१-सिद्धा आयुर्वेदिक रिसर्च फाउंडेशन प्राइवेट लिमिटेड नागपुर
२- बैद्यनाथ रिसर्च फाउंडेशन नई दिल्ली
३-कैंप हिमालया प्रोग्रेसिव फार्मर एसोसिएशन
४-आयुर्वेदान्त प्राइवेट लिमिटेड नई दिल्ली
५-श्री शर्मा आयुर्वेद मंदिर दतिया
बैद्यनाथ एक जिम्मेदार व्यापारिक संगठन
एक व्यापारिक संगठन होने के नाते बैद्यनाथ समाज एवं राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझता है। बैद्यनाथ प्रतिष्ठान विभिन्न शिक्षण संस्थानों, रिसर्च सेंटर एवं हॉस्पिटल को सहायता राशि प्रदान करता है एवं विभिन्न आयुर्वेद विद्यालयों एवं महाविद्यालय को के छात्रों को स्कॉलरशिप भी प्रदान करता है जिससे कि आयुर्वेद क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों को प्रोत्साहन मिल सके। प्रतिष्ठान द्वारा आयुर्वेद क्षेत्र में काम कर रहे विद्वानों को किताब लिखने या शोध कार्य किये जाने पर पंडित राम नारायण शर्मा अवार्ड से भी सम्मानित करता है। वर्तमान में यह पुरस्कार राशि दो लाख रूपय है। इसके अलावा झांसी में स्थित रानी लक्ष्मीबाई पब्लिक स्कूल का संचालन वैद्यनाथ परिवार द्वारा ही किया जाता है जोकि बुंदेलखंड क्षेत्र का सर्वश्रेष्ठ स्कूल माना जाता है। राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश के 10000 थे भी ज्यादा स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों को बैद्यनाथ द्वारा सहायता राशि दी जाती है। वैद्य रामनारायण शर्मा जी की स्मृति में विभिन्न खेलों का आयोजन किया जाता है। बैद्यनाथ द्वारा गोल्ड कप हॉकी टूर्नामेंट का आयोजन भी किया जाता है इसका की मकसद देश में खेलकूद को बढ़ावा देना भी है। प्रतिष्ठान द्वारा प्रतिवर्ष सैकड़ों चिकित्सा शिविर लगाकर मरीजों को मुफ्त सलाह वह दवाइयां बांटी जाती है। इस प्रकार अपने कार्य क्षेत्र को समस्त एवं समग्र रूप से विस्तारित करते हुए बैद्यनाथ निरंतर अपने प्रयासों में लगा हुआ है और आयुर्वेद द्वारा स्वास्थ्य सेवा ये प्रयास अनवरत रूप से जारी है।